वारिसनगर के हिमगिरी उत्सव पैलेस में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन स्वामी चिदात्मानंद सरस्वती ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के माध्यम से जीवन के महत्व को समझाया। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु और महिलाएं उपस्थित रहीं।
वारिसनगर में श्रीमद भागवत कथा: जीवन जीने की कला सिखाते स्वामी चिदात्मानंद सरस्वती
वारिसनगर (समस्तीपुर): हिमगिरी उत्सव पैलेस में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन श्री वृंदावन से पधारे स्वामी चिदात्मानंद सरस्वती ने कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें साझा की। उन्होंने कहा, “भागवत कथा का श्रवण करने का अवसर वही पा सकता है जिस पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा हो।”
स्वामी चिदात्मानंद सरस्वती ने बताया कि गीता में गौकर्ण महाराज ने अपने पिता आत्मदेव से कहा था कि परमात्मा को पाना जीवन का सर्वोत्तम उद्देश्य है। उन्होंने भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण की अनेक लीलाओं का उल्लेख किया और बताया कि इन लीलाओं का सार जानकर मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। उन्होंने यह भी कहा कि भागवत कथा का श्रवण राजा परीक्षित को मुक्ति दिलाने में सहायक हुआ था।
स्वामी जी ने भागवत कथा में भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, कर्मयोग, समाजधर्म, स्त्रीधर्म सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। भागवत कथा का मुख्य मंत्र सदाचार है, जो जीवन में अपनाकर व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है। साथ ही भगवान भी ऐसे व्यक्तियों से प्रेम करते हैं।
इस भागवत कथा में भाग लेने के लिए वारिसनगर और आसपास के क्षेत्रों जैसे कल्याणपुर, समस्तीपुर आदि से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। महिलाओं की भी बड़ी भीड़ इस अवसर पर उपस्थित थी। भाजपा दक्षिणी मंडल अध्यक्ष ठाकुर संग्राम सिंह ने इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मौके पर वार्ड पार्षद रणजीत कुमार ठाकुर, राणा सिंह, भाजपा नेता अविनाश कुमार सिंह, सुमित आदि मौजूद रहे।