समस्तीपुर में सफदर हाशमी की शहादत पर विचार गोष्ठी का आयोजन

समस्तीपुर में सफदर हाशमी की शहादत को समर्पित विचार गोष्ठी आयोजित की गई। जानें सफदर की विरासत और उनके संघर्षों पर विस्तृत चर्चा।

समस्तीपुर (शहीद उदय शंकर स्मारक भवन): रविवार को समस्तीपुर में रंगकर्मी सफदर हाशमी की शहादत को समर्पित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन जनवादी लेखक संघ, जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा, सीआईटीयू और एसएफआई द्वारा किया गया। संगोष्ठी का विषय था “प्रतिरोध की संस्कृति और सफदर की विरासत”, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के सामाजिक कार्यकर्ताओं और विचारकों ने हिस्सा लिया।

सफदर हाशमी का योगदान

सफदर हाशमी, जो भारतीय रंगमंच के एक महान हस्ताक्षर थे, ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों को उजागर किया। उन्होंने न केवल रंगकर्मी के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि एक शिक्षक, कवि, चित्रकार और संगठनकर्ता के रूप में भी काम किया। उनका जीवन और कार्य भारतीय जनवादी और वामपंथी आंदोलनों के लिए एक प्रेरणा बने। इस विचार गोष्ठी में उनके योगदान और विरासत पर विस्तार से चर्चा की गई।

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मुख्य वक्ता अरुण कुमार मिश्र, जो पूर्व राज्य महासचिव, सीआईटीयू हैं, ने सफदर हाशमी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सफदर ने नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ प्रगतिशील आंदोलनों को मजबूती दी। उन्होंने इसे एक आंदोलन के रूप में देखा, जिसे सफदर ने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था।

कार्यक्रम की शुरुआत और मुख्य विचार

कार्यक्रम की शुरुआत जनवादी गीतों से हुई, जिसे राम विलास सहनी, राम प्रवेश चौरसिया, नरेन्द्र कुमार टुनटुन, और ब्रह्मदेव सहनी ने प्रस्तुत किया। इसके बाद, डा. अरुण अभिषेक, जनवादी लेखक संघ के कार्यकारी सचिव ने आगत अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।

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डा. प्रभात कुमार, जो जन संस्कृति मंच के जिलाध्यक्ष हैं, ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में सांस्कृतिक प्रतिरोध और भी आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि सभी संगठनों को अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से समाज में चल रहे अत्याचार और असमानताओं के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए।

सफदर हाशमी की शहादत और समाज के लिए संदेश

चन्देश्वर राय, पूर्व बैंक अधिकारी और हरि नारायण राय, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक ने भी सफदर को महान कलाकार और समाज के लिए प्रेरणा देने वाले व्यक्तित्व के रूप में याद किया। उनका मानना था कि सफदर का बलिदान हमेशा संघर्ष के प्रतीक के रूप में लिया जाएगा।

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इसके अलावा, अमलेन्दु कुमार, अरविंद कुमार दास, और अन्य अतिथियों ने भी सफदर की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम में उपस्थित लोग और विचार

इस विचार गोष्ठी में कई सम्मानित लोग उपस्थित रहे, जिनमें डा. कृष्ण कुमार सिन्हा, डा. पवन कुमार पासवान, संगीता राय, मीना कुमारी, पूनम देवी, रामाश्रय महतो, सत्य नारायण सिंह, राम सागर पासवान और राजेश्वर कुमार सिंह सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे।

इस आयोजन ने सफदर हाशमी की शहादत को सम्मानित करते हुए उनके विचारों को समाज में फैलाने का प्रयास किया। उनके संघर्षों और कार्यों को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया गया।

 

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