समस्तीपुर में जिला परिषद अध्यक्ष पद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। सदस्यों ने कार्यप्रणाली में असंतोष और मनमानी के आरोप लगाए हैं।
समस्तीपुर में जिला परिषद अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, सियासी पारा चढ़ा
समस्तीपुर जिले में एक बार फिर से जिला परिषद अध्यक्ष के खिलाफ सियासी पारा चढ़ गया है। शनिवार को जिला परिषद के सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिससे जिले की राजनीति में हलचल मच गई। यह प्रस्ताव जिला परिषद अध्यक्ष खुशबू कुमारी के कार्यकाल के खिलाफ था, जिसमें उनके कार्यप्रणाली पर असंतोष और कई गंभीर आरोप लगाए गए थे।
अविश्वास प्रस्ताव में क्या आरोप लगाए गए?
अविश्वास प्रस्ताव में दृष्टिहीन कार्यप्रणाली, संकल्पों और योजनाओं के कार्यान्वयन में विफलता, और मनमानी कार्यशैली को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि जिला परिषद अध्यक्ष ने जिला परिषद के सदस्यों से मंत्रणा नहीं की, और अपने कार्यों को मनमाने ढंग से किया। साथ ही, यह भी आरोप लगाया गया कि अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने निष्ठापूर्वक कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया।
इसके अलावा, प्रस्ताव में यह भी लिखा गया कि अध्यक्ष ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन ठीक से नहीं किया, और सदस्यों की सहमति के बिना ही निर्णय लिए। इन आरोपों को लेकर सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने की मांग की, और कहा कि जिला परिषद की विशेष बैठक आयोजित कर इस पर चर्चा की जाए।
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जिला परिषद की विशेष बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सदस्य पक्ष और विपक्ष में मतदान करेंगे। प्रस्ताव में 13 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें प्रमुख सदस्य जैसे ममता कुमारी, उर्मिला देवी, अनिता कुमारी, अरुण कुमार गुप्ता, विभा देवी, मंजू देवी, रिंकी कुमारी, किरण कुमारी, लक्ष्मी कुमारी आदि शामिल हैं।
जिला परिषद अध्यक्ष खुशबू कुमारी ने इस अविश्वास प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने अभी तक आधिकारिक पत्र प्राप्त नहीं किया है, लेकिन मौखिक रूप से उन्हें इसके बारे में जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि पंचायती राज अधिनियम के तहत एक ही बार बैठक हो सकती है।
अविश्वास प्रस्ताव का कानूनी पहलू
इसके अलावा, पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव पर रोक लगाई थी। न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि यदि वोटिंग नहीं होती है, तो वह प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जाएगी। इसके बाद, जिला परिषद सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए स्वतंत्र हैं।
समिति के सभी सदस्यों को बैठक में उपस्थित होकर इस पर मतदान करना होगा। इस प्रक्रिया के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव की कानूनी वैधता पर विचार किया जाएगा।
जिला परिषद अध्यक्ष चुनाव की पृष्ठभूमि
जिला परिषद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 3 जनवरी 2022 को हुआ था, जिसमें खुशबू कुमारी को 42 वोट मिले थे, जबकि प्रेमलता को 6 और रीना राय को 1 वोट मिला था। इसके बाद जनवरी 2024 में एक और अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन उस बैठक में केवल 5 सदस्य ही उपस्थित थे, जिससे प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
पंचायती राज विभाग का निर्णय
पंचायती राज विभाग ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद यह स्पष्ट किया था कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान यदि मतदान नहीं हुआ है, तो उसे पूर्ण प्रक्रिया नहीं माना जाएगा। इस संदर्भ में बैठक में मतदान कर इसे पूरी प्रक्रिया मान्यता दी जाएगी।
समस्तीपुर की जिला परिषद में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से एक नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। यह मामला अब कानूनी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद इस प्रस्ताव का विधिक समाधान निकलना है।