समस्तीपुर में महात्मा लुइस ब्रेल की जयंती मनाई गई, दृष्टिबाधित बच्चों को सम्मानित किया गया

महात्मा लुइस ब्रेल की जयंती समस्तीपुर

समस्तीपुर प्रखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में महात्मा लुइस ब्रेल की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर ब्रेल लिपि और दृष्टिबाधित बच्चों के योगदान पर चर्चा की गई।

समस्तीपुर में महात्मा लुइस ब्रेल की जयंती पर हुआ विशेष कार्यक्रम

समस्तीपुर प्रखंड के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के प्रांगण में शनिवार को महात्मा लुइस ब्रेल की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने लुइस ब्रेल को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके तैल चित्र पर पुष्प और माल्यार्पण किया गया। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो दृष्टि से वंचित हैं। कार्यक्रम में पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित छात्राओं द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत किया गया और लुइस ब्रेल की जीवनी पर एक परिचर्चा भी आयोजित की गई।

लुइस ब्रेल की जीवनी और उनके योगदान पर चर्चा

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एपीओ सत्यम कुमार ने महात्मा लुइस ब्रेल को दृष्टि बाधिता के क्षेत्र का महानायक कहा। उन्होंने कहा कि लुइस ब्रेल का योगदान अनमोल है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी आंखें नहीं देख पातीं। उनकी ब्रेल लिपि ने दृष्टिबाधित बच्चों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोल दिए। इस दिन का उद्देश्य न केवल नेत्रहीन लोगों की जिंदगी के चैलेंजेस को उजागर करना था, बल्कि उनके अधिकारों और समानता के प्रति जागरूकता फैलाना भी था।

लुइस ब्रेल का जीवन और उनकी प्रेरणा

महात्मा लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस में हुआ था। उनके पिता मोची का काम करते थे। जब वे तीन साल के थे, तो एक दिन उन्होंने चमड़ा काटने वाले चाकू से खेलते वक्त अपनी एक आंख खो दी। इसके बाद, उनकी दूसरी आंख भी इंफेक्शन के कारण खराब हो गई, और वे पूरी तरह से दृष्टिहीन हो गए। लेकिन उन्होंने इस अंधेपन को अपनी कमजोरी नहीं समझा। बल्कि, इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। यह लिपि छह बिंदुओं पर आधारित है, जो आज तक दृष्टिहीनों के लिए एक वरदान साबित हुई है।

ब्रेल लिपि के माध्यम से अब दृष्टिबाधित बच्चे शिक्षा, विज्ञान, साहित्य और समाज के अन्य क्षेत्रों में अपनी भागीदारी दे रहे हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित विशेष अतिथि

कार्यक्रम में दृष्टिबाधित संसाधन शिक्षक प्रमोद कुमार, अनुपमा कुमारी, अरशद कामरान, और पवन सिन्हा सहित अन्य सम्मानित अतिथियों ने भाग लिया। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की वार्डन सरिता कुमारी ने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। साथ ही, उत्क्रमित मध्य विद्यालय हरपुर एलौथ के प्रधानाध्यापक हर्षवर्धन ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की।

दृष्टिबाधित छात्राएं चांदनी कुमारी, सोनी परवीन, डेजी कुमारी, रविता, राजनंदनी सहित अन्य छात्रों ने भी कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए।

ब्रेल लिपि का महत्व और समाज में इसकी भूमिका

लुइस ब्रेल की लिपि ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी, बल्कि यह दृष्टिहीन बच्चों के आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को भी बढ़ावा देती है। इससे पहले, दृष्टिहीनों को शिक्षा प्राप्त करना बहुत कठिन था। लेकिन अब, ब्रेल लिपि के माध्यम से वे किताबें पढ़ सकते हैं, लिख सकते हैं और समाज में अपनी पहचान बना सकते हैं।

निष्कर्ष

महात्मा लुइस ब्रेल की जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम ने एक बार फिर हमें यह एहसास कराया कि समाज में हर व्यक्ति की अपनी विशेष भूमिका है। यह कार्यक्रम न केवल दृष्टिबाधित बच्चों के संघर्ष को समझने का एक अवसर था, बल्कि यह समाज में समानता और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था।