समस्तीपुर : जिले में संचालित होने वाली सैकड़ों दवा की दुकानें ऐसी हैं जहां फार्मासिस्ट नहीं हैं। इसका सबसे अधिक खामियाजा रोगी व उनके परिजनों को उठाना पड़ता है। दवाओं के कंपोजिशन के बारे में खरीदारी करने वाले लोगों को जानकारी नहीं होती है। ऐसे में दुकानदार खरीदारों को वैसी दवाएं दे देते हैं जिसपर उनको अधिक कमीशन मिलता है। ऐसी स्थिति में कई बार रोगी दवाओं के साइड इफेक्ट की चपेट में आ जाते हैं।लोगों ने बताया कि कई बार गंभीर बीमारियों के होने पर भी लोग चिकित्सकीय सलाह लेने से परहेज करके दवा दुकानदारों के भरोसे दवा लेकर अपना इलाज करने लगते हैं। इससे तात्कालिक राहत तो मिल जाती है लेकिन अंदर-अंदर रोग और गंभीर हो जाता है। लोगों के स्वास्थ्य के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग किसी भी प्रकार की दवा की खरीदारी के पहले पूरी तरह से उसकी जांच पड़ताल कर सके।अमर कुमार बतातें हैं कि कई दुकानों पर दुकानदार मोटी कमीशन वाली दवाओं को बिना चिकित्सकीय सलाह के लोगों को बेच देते हैं। इससे आगे रोगी को तरह-तरह की अन्य बीमारियों का खतरा बना रहता है। नियम के अनुसार जिले की सभी रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर पर एक फार्मासिस्ट का रहना आवश्यक है। लेकिन कई माह से फार्मासिस्ट की बहाली नहीं की गयी है। चिकित्सक की बताते हैं की दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट का होना बेहद जरूरी है। इससे यह पता चलता है कि रोगी अथवा उसके परिजनों को सही दवा दी जा रही है।
अभिषेक कुमार बताते हैं कि शहर में सभी दुकानों पर फार्मासिस्ट नहीं होने से ओटीसी दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। शहर में कई ऐसी भी दुकानें संचालित हैं जो 24 घंटे खुली रहती हैं जबकि इसके लिए विशेष लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है। अज्ञानतावश लोग सिर दर्द, पेट दर्द, सर्दी, जुकाम, हल्की बुखार, बदन दर्द, डिहाइड्रेशन और एलर्जी से जुड़ी किसी तरह की शिकायत होने पर बिना किसी चिकित्सकीय सलाह लिए ही दवा दुकानदार से दवाएं खा लेते हैं। इससे तुरंत आराम तो मिल जाता है लेकिन इसका दुष्प्रभाव शरीर के कई अंगों पर पड़ता है।सूरल साह बताते हैं कि आजकल जंक फूड अथवा रसायन से तैयार किए गए अनाज आदि का सेवन करने से लोगों के शरीर की इम्युनिटी में भी कमी आई है। उल्टी आना, गैस बनना, सिर दर्द होना, आंखों की रोशनी कम होना, वजन तेजी से बढ़ाना, लिवर खराब होना तथा जॉन्डिस की शिकायत आदि ऐसी समस्याएं हैं जो ओटीसी दवाओं के सेवन से सामने आ रहे हैं।
प्रिंस कुमार बताते है कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के लंबे समय तक ओटीसी दवाओं का सेवन करना कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसको लेकर जागरुकता अभियान जरुरी है। यही नहीं लोग कभी-कभी बिना सोचे समझे एंटीबायोटिक या दर्द निवारक दवाइयां ले लेते हैं। इसका सीधा असर प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है।
बयान :
सभी दवा दुकानों की समय-समय पर जांच करवाई जाती है। इस दौरान जो भी कमियां मिलती है उसपर नियमानुसार कार्रवाई भी की जाती है। दवा दुकानों पर फर्मासिस्ट रहना जरूरी है। बगैर फर्मासिस्ट का लाइसेंस ही नहीं निर्गत किया जाता है। दो दिन पूर्व ही चार दुकानों का लाइसेंस रद्द किया गया है। आगे भी लगातार हमलोग इसकी जांच-पड़ताल करेंगे।