समस्तीपुर में मानसिक स्वास्थ्य और विधिक सहायता पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

मानसिक स्वास्थ्य कार्यशाला में विधिक सेवा प्राधिकार का आयोजन

समस्तीपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकार में मानसिक स्वास्थ्य और बौद्धिक अक्षमताओं से जुड़े व्यक्तियों को विधिक सहायता पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित। जानें कार्यशाला के मुख्य बिंदु।

समस्तीपुर जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकार (District Legal Services Authority – DLSA) के प्रांगण में मानसिक स्वास्थ्य और बौद्धिक अक्षमताओं से पीड़ित व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश समीर कुमार ने की।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों और बौद्धिक अक्षमताओं से ग्रसित लोगों के लिए “Mental Healthcare Act, 2017” के तहत कानूनी सहायता को प्रभावी ढंग से लागू करना था।


कार्यशाला के मुख्य बिंदु

1. मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता

  • प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के साथ सहानुभूति और समावेशिता जरूरी है।
  • इन व्यक्तियों के लिए समाज में व्याप्त भेदभाव को समाप्त करना आवश्यक है।

2. विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण

  • डिप्टी चीफ संजय कुमार सिंह ने प्रतिभागियों को “Mental Healthcare Act, 2017” के प्रावधानों पर विस्तार से बताया।
  • डा. श्रुति सुमन ने मानसिक बीमारियों की पहचान, उपचार और इनसे जुड़े सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की।
  • डा. अभिलाषा सिंह ने इसे एक महत्वपूर्ण और शिक्षाप्रद अनुभव बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज और कानून की जिम्मेदारी को दर्शाती है।

कार्यशाला में शामिल प्रतिभागी

  • डालसा पैनल के अधिवक्ता।
  • अधिकार मित्र (Legal Aid Volunteers)।
  • मानसिक स्वास्थ्य और बौद्धिक अक्षमता के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञ।

मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017: मुख्य प्रावधान

  • मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना।
  • उनके अधिकारों की रक्षा करना और किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचाना।
  • समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

कार्यशाला के लाभ

  1. कानूनी जानकारी में वृद्धि: प्रतिभागियों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कानूनों को गहराई से समझा।
  2. समाज में जागरूकता: मानसिक बीमारियों के प्रति समाज की जिम्मेदारी पर चर्चा हुई।
  3. भविष्य की रणनीति: मानसिक स्वास्थ्य और विधिक सहायता को मजबूत करने की योजनाएँ तैयार की गईं।

समापन और धन्यवाद

कार्यशाला के अंत में चंदालाल, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने सभी प्रतिभागियों और विशेषज्ञों का धन्यवाद किया।