समस्तीपुर में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में POCSO कोर्ट ने आरोपी को 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई। महिला थाना में दर्ज केस में जुर्माना और मुआवजा भी तय किया गया।
समस्तीपुर जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी को कड़ी सजा
समस्तीपुर जिले के विशेष न्यायाधीश (POCSO कोर्ट) कैलाश जोशी ने शनिवार को नाबालिग से दुष्कर्म के एक गंभीर मामले में दोषी करार दिए गए युवक संतोष कुमार को 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई। शिवाजीनगर थाना अंतर्गत बंधार गांव निवासी मोहन यादव के पुत्र संतोष कुमार पर लगे आरोपों को न्यायालय ने सही पाया। महिला थाना में दर्ज इस मामले में न्यायालय ने दोष सिद्ध होने के बाद कड़ी सजा के साथ आर्थिक जुर्माना भी लगाया है।
मामले का संक्षिप्त विवरण
- स्थान: बंधार गांव, शिवाजीनगर थाना, समस्तीपुर
- आरोपी: संतोष कुमार (बंधार गांव निवासी)
- कानूनी कार्रवाई: महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज, विशेष न्यायाधीश पास्को कोर्ट में सुनवाई।
- सजा: 20 वर्ष सश्रम कारावास और ₹20,000 जुर्माना।
आरोप और सजा के प्रमुख बिंदु
- महिला थाना में मामला दर्ज:
पीड़िता के परिजनों द्वारा महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया। - कोर्ट ने दोषी माना:
अदालत में प्रस्तुत सबूतों और गवाहों के आधार पर विशेष न्यायाधीश कैलाश जोशी ने आरोपी को दोषी करार दिया। - कड़ी सजा का प्रावधान:
- कारावास: 20 वर्ष सश्रम कारावास।
- आर्थिक दंड: आरोपी पर ₹20,000 का जुर्माना।
- मुआवजा: पीड़िता को जिला विधि सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) द्वारा मुआवजा प्रदान करने का निर्देश।
समाज पर इसका प्रभाव
समस्तीपुर में पास्को कोर्ट का यह निर्णय समाज में एक मजबूत संदेश देता है कि ऐसे जघन्य अपराधों के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित की जाएगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नाबालिगों के साथ अपराध करने वालों को कानून से भागने का कोई मौका नहीं मिलेगा।
न्यायालय के निर्देशों का पालन
विशेष न्यायाधीश ने यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता को मुआवजे की राशि तत्काल प्रभाव से मिले। इसके लिए जिला विधि सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए गए हैं।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
- जागरूकता अभियान:
दुष्कर्म जैसे अपराधों को रोकने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। - कानूनी शिक्षा:
महिलाओं और बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार के अपराध के खिलाफ तुरंत आवाज उठा सकें।