समस्तीपुर: हसनपुर में आयोजित संतमत सत्संग का 48वां वार्षिक अधिवेशन संपन्न

समस्तीपुर में संतमत सत्संग का वार्षिक अधिवेशन

समस्तीपुर के हसनपुर में इमली चौक महर्षि मेंही योग आश्रम में आयोजित दो दिवसीय संतमत सत्संग का 48वां वार्षिक अधिवेशन संपन्न हुआ। स्वामी योगानंद और अन्य संतों ने सत्संग की महिमा पर प्रकाश डाला।

समस्तीपुर (Samastipur): हसनपुर (Hasanpur) के स्थानीय बाजार इमली चौक महर्षि मेंही योग आश्रम में आयोजित दो दिवसीय संतमत सत्संग (Santmat Satsang) का 48वां वार्षिक अधिवेशन संपन्न हुआ। कार्यक्रम के दूसरे व अंतिम दिन स्वामी योगानंद ने कहा कि सत्संग से ही जीवन में शांति की प्राप्ति होती है और सत्संग करने वाला व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है।

सत्संग की महिमा

स्वामी योगानंद ने सत्संग की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब जीव के भाग्य का उदय होता है, तब उसे जीवन में सत्संग सुनने का सुअवसर प्राप्त होता है। उन्होंने सत शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि जो हमेशा रहता है वह सत है और जो कभी रहे कभी न रहे वह असत है। जो सभी देश, काल और पदार्थों में रहता है, उसे सत कहते हैं। सत का कभी नाश नहीं होता और जो सत्य स्वरूप परमात्मा है, उसी का संग करना ही सत्संग है।

स्वामी के शब्द

स्वामी ने कहा कि सत्संग से मनुष्य का चिन्तन पवित्र होता है, जिससे आचरण और व्यवहार का भी शुद्धिकरण होता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता और अन्य अतिथि

कार्यक्रम की अध्यक्षता बाबा निर्मलानंद जी ने की। उन्होंने कहा कि महर्षि मेंही युग पुरुष, युग प्रवर्तक और सांप्रदायिकता उन्मूलन के अवतार थे। मौके पर स्वामी गुरुशरण महराज, सुभाषानंद जी महराज, बाबा गुरु प्रसाद, स्वामी राजकुमार बाबा, बौआ यादव, रामविलास पासवान, केदार यादव, राम सिंह, योगेंद्र राय आदि उपस्थित रहे।