समस्तीपुर का थानेश्वर मंदिर : इतिहास और धार्मिक महत्व

समस्तीपुर का प्रसिद्ध थानेश्वर मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जानें इस प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व और इसके आकर्षण।

समस्तीपुर शहर स्थित थानेश्वर मंदिर में हर वर्ष भक्तों का सैलाब उमड़ता है, खासकर सावन की सोमवारी पर। यह मंदिर मनोकामना सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है, जहां श्रद्धालु अपनी हर मुराद पूरी होने की आस लेकर आते हैं।

थानेश्वर मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्ता

  • थानेश्वर मंदिर की स्थापना 1901 में की गई थी।
  • कहा जाता है कि इसी वर्ष यहां एक पीपल के वृक्ष के पास भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
  • धीरे-धीरे इस स्थान पर पूजा-अर्चना शुरू हुई और यह स्थल एक भव्य मंदिर के रूप में विकसित हुआ।
  • मंदिर का नाम यहां स्थित नगर थाना के पास होने के कारण थानेश्वर मंदिर पड़ा।
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क्यों है थानेश्वर मंदिर विशेष?

  • शिव-पार्वती की उपस्थिति:
    थानेश्वर मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती भी विराजमान हैं।
  • मनोकामना पूर्ण करने वाला स्थल:
    यह मंदिर मनोकामना सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है। श्रद्धालु विश्वास करते हैं कि सच्चे मन से पूजा करने पर उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  • सावन माह का विशेष महत्व:
    दूर-दूर से श्रद्धालु, विशेषकर कांवरिया, यहां गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं।
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थानेश्वर मंदिर की भौगोलिक स्थिति

  • स्थान:
    यह मंदिर समस्तीपुर जिले के मुख्यालय में स्थित है।
  • आसानी से पहुंचने वाला स्थल:
    मंदिर बस स्टैंड के सामने स्थित है, जिससे यहां पहुंचना बेहद सरल है।
  • प्रवेश के लिए मार्ग:
    रेलवे स्टेशन से दो रास्ते मंदिर तक पहुंचने के लिए उपलब्ध हैं।

सावन सोमवारी पर विशेष व्यवस्थाएं

  • सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम:
    सावन की हर सोमवारी पर मंदिर प्रशासन द्वारा सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  • भक्तों के लिए सुविधाएं:
    भक्तों को जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के दौरान कोई असुविधा न हो, इसके लिए व्यवस्था की जाती है।
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थानेश्वर मंदिर की मुख्य विशेषताएं

  • स्थापना वर्ष: 1901
  • प्रसिद्धि: मनोकामना सिद्ध पीठ
  • मुख्य आकर्षण: सावन माह में कांवरियों का गंगाजल से जलाभिषेक
  • भौगोलिक स्थिति: समस्तीपुर मुख्यालय, बस स्टैंड के सामने

समस्तीपुर का थानेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। सावन के पवित्र माह में यहां का वातावरण भक्तिमय हो जाता है। यदि आप भी अपनी मनोकामना पूरी करना चाहते हैं, तो थानेश्वर मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक अवश्य करें।

 

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