समस्तीपुर में अस्पतालों में ईटीपी प्लांट लगाने की प्रक्रिया में हो रही देरी

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समस्तीपुर जिले में अस्पतालों में ईटीपी (Effluent Treatment Plant) लगाने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। जानें इसके महत्व और बीमारी फैलने की आशंका।

समस्तीपुर जिले में अस्पतालों में ईटीपी प्लांट लगाने की प्रक्रिया की स्थिति

समस्तीपुर जिले में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य महकमा ने कई आदेश निकाले हैं, जिनमें से एक प्रमुख आदेश दो साल पहले जारी किया गया था। इस आदेश में सरकारी और निजी अस्पतालों में Effluent Treatment Plant (ईटीपी) लगाने की अनिवार्यता की गई थी। लेकिन इसके बावजूद, वर्तमान में यह प्रक्रिया सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है, और अस्पतालों से निकलने वाला गंदा पानी बिना किसी उपचार के नालियों में बहाया जा रहा है। इस पानी में खून, पित्त, कफ, और अन्य अपशिष्ट पदार्थ होते हैं, जो बीमारी फैलाने का कारण बन सकते हैं।

अस्पतालों में ईटीपी प्लांट की आवश्यकता क्यों है?

ईटीपी प्लांट अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पानी को बैक्टीरिया रहित (bacteria-free) बनाने का काम करता है। अस्पतालों के आपरेशन थिएटर (OT), पैथोलाजी और आपातकालीन विभागों से निकलने वाला गंदा पानी अगर बिना इलाज के नालियों में बहा दिया जाता है, तो इससे आस-पास के इलाकों में संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। विशेष रूप से, डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियों के बैक्टीरिया इस गंदे पानी में हो सकते हैं, जिन्हें ईटीपी प्लांट से शुद्ध किया जा सकता है।

ईटीपी प्लांट कैसे काम करता है?

Effluent Treatment Plant (ईटीपी), अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करता है। इस प्लांट से गुजरने के बाद पानी बैक्टीरिया रहित हो जाता है और उसे स्टोर करके बागवानी या सफाई जैसे कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न सिर्फ पर्यावरण को बचाती है, बल्कि आस-पास रहने वाले लोगों को बीमारियों से भी बचाती है।

समस्तीपुर जिले के अस्पतालों में ईटीपी प्लांट की स्थिति

समस्तीपुर जिले में कुल 20 सरकारी अस्पतालों में ईटीपी प्लांट लगाने की योजना है, जिसमें सदर अस्पताल और रेफरल अस्पताल ताजपुर को पहले चरण में शामिल किया गया है। इसके लिए 50 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया है। हालांकि, फिलहाल यह प्रक्रिया कागजी स्तर पर ही चल रही है, और अब तक इन अस्पतालों में ईटीपी प्लांट नहीं लगाए जा सके हैं।

अस्पतालों के गंदे पानी से फैलने वाली बीमारियां

  • डायरिया
  • पीलिया
  • वायरल संक्रमण
  • अन्य संक्रामक रोग

इन सभी बीमारियों के फैलने का मुख्य कारण अस्पतालों से निकलने वाला गंदा पानी है, जो बिना किसी ट्रीटमेंट के नालियों में बहाया जा रहा है। Effluent Treatment Plant (ईटीपी) इस पानी को शुद्ध कर सकता है, जिससे इन बीमारियों के फैलने की संभावना कम हो जाती है।

Dr. Shaleen Jha का बयान

फिजिशियन Dr. Shaleen Jha के अनुसार, “ईटीपी का उद्देश्य अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ करना है। इससे गुजरने के बाद पानी बैक्टीरिया रहित हो जाता है और आसपास के क्षेत्रों में कोई बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा नहीं रहता।”

समस्तीपुर में ईटीपी प्लांट लगाने की आगामी योजना

सिविल सर्जन, समस्तीपुर, Dr. Sanjay Kumar Chaudhary के मुताबिक, “समस्तीपुर जिले में सभी सरकारी अस्पतालों में ईटीपी प्लांट लगाने की प्रक्रिया चल रही है। पहले चरण में सदर अस्पताल और रेफरल अस्पताल ताजपुर में इस पर काम किया जाएगा।”

निष्कर्ष

समस्तीपुर जिले में Effluent Treatment Plant (ईटीपी) का कार्य महत्वपूर्ण है ताकि अस्पतालों से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध किया जा सके और इससे फैलने वाली संक्रामक बीमारियों को रोका जा सके। प्रशासन को इस दिशा में जल्द कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जल्द ही यह समस्या हल हो सके और स्थानीय लोगों को बीमारियों से बचाया जा सके।